एहसास
एहसास परोस देता है
हर शख्स ज़ुबां की थाली में
अपने-अपने दुख की तरकारी
तेज़ मसालों के संग
ताम-झाम से अलंकृत भाजी
कभी कभी, तानों के तेज नमक से
कड़वी सी लगती है
कानों में घुलता अहसासों का मीठा ज़हर
सीसे की तरह पिघलता और
जमता दिल पर
पीने की प्यास कड़वे घूँटों में बुझ जाती है
मीठा चखने की तमन्ना
दिल में रह जाती है……..।