एहसान
जीवन की अंधेरी गलियों में
नेकी का मुखौटा लगाये
लगाता रहता है गश्त
सत्ताधारियों का ‘एहसान’ ,,
एहसान जो हमेशा कर्ज से भारी
और मौत से हल्का होता है ,
किसी भेड़िये की तरह फिराक में
बस दिख जायें कहीं
किसी मज़लूम के
हारे हुए, झुके हुए ,अधमरे कंधे
वो निर्मम अट्टाहस के साथ
चढ़ बैठता है उन पर
और पहना देता है तुरंत
घोड़े वाली पट्टी ,,,,,
स्वार्थ की चाबुक पर दौड़ाने के लिए
‘एहसान’ की आड़ में देश के
एक और कमज़ोर नागरिक का शिकार
भरी भीड़ में आज़ादी की नृशंस हत्या ,,,
– क्षमा उर्मिला