एसी कैसी काउंसिलिंग ?
आज जिंदगी को उदास पाया,
अपनी सहेली को रोता पाया,
हमारी पुरानी जिंदगी, हमारे सामने घूम गयी,
खिल खिलाते हुई, यादें ताजा कर गयीं.
हमने नहीं सोचा था, इस तरह अस्पताल में मिलेंगे,
कुछ भी कहना सुनाना, मुश्किल हुआ,
दिल हमारा, कोप में डूब गया.
उसकी शादीशुदा जिंदगी, सही नहीं थी,
जाने किस तरह वो, जी रही थी.
एक के बाद एक, अबोरशन, होते रहा,
उसका शरिर पूरी तरह बिगड़ गया.
उसकी मानसिक, स्थिति सही नहीं थी,
उसे किसी, काउंसिलिंग, की जरूरत थी.
और आपको बडी़ बात बताती हूँ,
एक पुरूष काउंसलर, को बुलाया गया,
जो वो बोलना चाहती थी,
अब तो और मुश्किल हो गया.
सारा कसूर है, उसीका,
और उसे ही एतिहात करने को कहा गया.
स्त्री की एसी बात, सिर्फ, एक स्त्री ही समझती है.
ये क्यों न समझा गया?