*एनी बेसेंट (गीत)*
एनी बेसेंट (गीत)
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लंदन में जन्मीं, भारत का किया किंतु उद्धार
शत-शत नमन तुम्हें एनी बेसेंट तुम्हें शत बार
(1)
जन्म एक अक्टूबर अट्ठारह सैंतालिस पाया
यद्यपि एक ईसाई धर्म-विरोधी तेवर आया
लिया अनीश्वरवाद ब्रेडला-सॅंग अभियान चलाया
सही राह जो समझी, उन ही राहों को अपनाया
चार दशक तक चली, इधर से उधर नाव मॅंझधार
(2)
पुस्तक सीक्रेट-डॉक्टरीन ब्लेवेट्स्की की जब पाई
पुस्तक ने मानो जगवाया, बंद आँख खुलवाई
थिओसोफिकल सोसाइटी की तब शिक्षा अपनाई
बनीं विश्व-बन्धुत्व-मनुजता की पक्की अनुयाई
जीवनदायी-तत्व दिखा, तुमको समाधि के पार
(3)
भारत में शिक्षा की तुमने अनुपम अलख जगाई
खोला सेंट्रल हिन्दू कालेज, नई चेतना आई
बी.एच.यू. के लिए किया कालेज का दान तुम्हारा
इतिहासों में लिखा नींव के पत्थर-जैसा प्यारा
पढ़ी संस्कृत-भाषा, हिंदू-ग्रंथों का विस्तार
(4)
भारत की आजादी की थीं तुम अनुपम सेनानी
संस्था होमरूल-लीग की ताकत सबने मानी
भारतीय से बढ़कर तुममें भारतीयता पाई
नहीं डिगीं आंदोलन-पथ से, भले मुसीबत आई
नजरबंद कर दिया ब्रिटिश सत्ता ने किया प्रहार
(5)
यह व्यक्तित्व तुम्हारा अभिनंदन भारत करता था
ब्रिटिश-राज तेजस्वी भाषा-शैली से डरता था
कांग्रेस की बनीं सभापति सन् सत्रह जब आई
पूरी हुई प्रतीक्षा भारत ने ली तब अॅंगड़ाई
तुम स्वतन्त्रता के वसंत की देवी शुभ साकार
(6)
थिओसोफिकल सोसाइटी-पद विश्वाध्यक्ष निभाया
सन् उन्निस सौ सात वर्ष से जब तक जीवन पाया
बीस सितम्बर सन् तैंतिस को छूटी नश्वर काया
सफर रहेगा जारी लेकिन दुनिया को दिखलाया
राह दिखाता सदा तुम्हारा, जीवन कार्य-विचार
शत-शत नमन तुम्हें एनी बेसेंट तुम्हें शत बार
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451