एक हो भाई एक हो चारा
भाई चारा भाई चारा…
एक हो भाई एक हो चारा
भाई चारा… भाई चारा…
गौ माता के हत्यारों से…
अस्मत के दुत्कारों से…
कन्हैया के चितकारों से
कमलेश के रक्तिम धारों से
जेहादी के नारों से…
अभी नहीं हो ऊबे तुम
शिवलिंग बनते फव्वारों…
छोड़ो छोड़ो छोड़ो इनको
चलो अकेले हमीं निभाएं
भाई चारा भाई चारा…
एक हो भाई एक हो चारा
भाई चारा… भाई चारा…
जिसे निभाने आधा भारत
हमने खोया तुमने खोया…
जिसे निभाने काश्मीर में
तीस लाख हिंदू था रोया…
जिसे निभाने देवी देवता
को गंदी गाली सुनवाया
जिसे निभाने तुमने अक्सर
थूका हुआ सेवईयां खाया।
थूका चांटो थूका चांटो
और खुशी से तुम्हीं निभाओ
भाई चारा भाई चारा…
एक हो भाई एक हो चारा
भाई चारा… भाई चारा…
दीपक झा “रुद्रा”