एक हमदर्द थी वो………
बीमार हो, तबीयत ठीक नहीं ?
पूछने वाला कौन बचा है अब?
तेरे जाने के बाद रूठने पर मनाने वाला
कौन बचा है अब?
तू थी तो जिंदगी पूरी-सी लगती थी
तू नहीं तो जिंदगी अधूरी-सी लगती है।
बेसक तू पास नहीं मेरे,
मगर तेरे साथ बिताए लम्हें हर क्षण-क्षण के
याद हैं मुझे पूरे।
कभी चैन से सोता था,
पर अब चैन से रोता हूँ,
कभी हंसते-हंसते रो जाता था
अब रोते-रोते हँसा करता हूँ,
कभी तेरे इंतजार में समय गुजारा करता था,
पर अब तेरी तन्हाई में समय गुजारा करता हूँ,
फर्क बस इतना है,
कभी तू मेरे पास, मेरे साथ थी
पर अब तू न मेरे पास है न मेरे साथ है,
तू गई तो खुशियां गया,
तू नहीं तो नींदें नहीं,
बीत रहा जीवन भी मेरा
तेरी तन्हाई में,
यूँ गिनते गिनते दिनों को…….