एक स्वप्न सलोना
इक स्वपन सिलौना……
वो स्वपन सिलौना
दिल का खिलौना
मोम की गुडिया
आग का दरिया
कागज की कश्ती
सुनसान सी बस्ती
तेरा खोना,मेरा खोना
वो स्वपन सिलौना……
अँधेरी रातें
वो भूतों की बातें
हवाओ का ना चलना
पर पत्तो का हिलना
तेरा गिरना,तेरा सँभलना
मेरा हँसना,तेरा रोना
वो स्वपन सिलौना……
चॉद का हँसना
तारो का बिखरना
सॉसों की गर्मी से तेरी
सूरज का धीरे से पिघलना
फूलो का खिलना
कलियों से मिलना
तेरा धागों में उन्हे पिरोना
वो स्वपन सिलौना……
रात तेरा छत पर आना
कुछ मेरी सुननास
कुछ अपनी सुनाना
नजरे झुकाना,नजरे मिलाना
हाथो से हाथो का छुडाना
ईशारो से मुझको समझाना
होके रहेगा जो है होना
वो स्वपन सिलौना…….
उफ!ऑख का खुलना
कॉच सा चटकना
कॉटे सा अटकना
बिखरा असबाब
छिटके ख्बाब
छूट गया हाथो से हाथ
हुआ न वो,जो था होना
टूट गया वो स्वपन सिलौना
वो स्वपन सिलौना
वंदना मोदी गोयल