एक सैनिक
मैं भारत माँ का सेवक हूँ लेकिन रिश्वत का पहरेदार नहीं
भूखे मर जाऊँ मेरी किस्मत वैसे मैं रोटी को लाचार नहीं
माँ की रक्षा का प्रण लेकर
मैं अपना कर्तव्य निभाऊँ
छोड़ के सारे रिश़्ते बन्धन
मैं भी तो अधिकार निभाऊँ
पड़े जरूरत जब भी माँ को
प्राण भी देकर उसे बचाऊँ
मुझ पर जो अधिकार है माँ मैं भी तो कुछ कर्ज़ चुकाऊँ
मैं भारत माँ का सेवक हूँ लेकिन रिश्वत का पहरेदार नहीं
भूखे मर जाऊँ मेरी किस्मत वैसे मैं रोटी को लाचार नहीं
चाहे है जीवन मेरा दो दिन
का पर पल भर की मुझको
आश नहीं फिर जाने कौन
सी गोली मुझे समेटे यह भी
तो मुझको विश्वास नहीं कि
कितने वर्ष कहाँ जी जाऊँ
मुझ पर तो कुछ प्रश्न उठे हैं जो कि हैं मेरे संज्ञान नहीं
मेरे कुछ अधिकार दवे हैं जिनका है मुझको ज्ञान नहीं
मैं भारत माँ का सेवक हूँ लेकिन रिश्वत का पहरेदार नहीं
भूखे मर जाऊँ मेरी किस्मत वैसे मैं रोटी को लाचार नहीं।।
– अशांजल यादव