एक शेर
मेरे दूर जाने पर कभी अश्क न बहाना,
बिन सोचे-समझे कहीं इश्क न लड़ाना।
समन्दर से भी गहरी है मयंक मोहब्बत,
थाह की चाहत में व्यर्थ वक्त न गँवाना।
✍के.आर.परमाल ‘मयंक’
मेरे दूर जाने पर कभी अश्क न बहाना,
बिन सोचे-समझे कहीं इश्क न लड़ाना।
समन्दर से भी गहरी है मयंक मोहब्बत,
थाह की चाहत में व्यर्थ वक्त न गँवाना।
✍के.आर.परमाल ‘मयंक’