एक शहीद की पत्नि की अभिव्यक्ति –आर के रस्तोगी
आई लव यू,जानू
आई सैलूट यू,जानू[
तुम पर सबको नाज हो
तुम्ही तो मेरे सर के ताज हो
फिर मिलेगे,चाँद तारो के पार
ये दुनिया तो मेरे लिये बेकार
जहाँ आंतक का न हो साथ
बस मेरा तुम्हारा ही हो साथ
तुमने देश के लिये दी कुर्बानी
अपनी जवानी की दी कुर्बानी
तुम देश के वीर बहादुर हो
हर किसी से काफी बेहतर हो
हम सब तुम्हे प्यार करते रहेगे
सदा ही तुम्हे याद करते रहगे
काश ! मै तुम्हारे साथ ही,
पुलवामा रण क्षेत्र में होती
दो चार शत्रुओ का नहीं,
नो-दस को मारके मरती
मै अपनी ही जान देकर,
दुश्मनों की जान लेकर
तुम्हारी जान बचा लेती
पर काश !ऐसा नहीं हुआ
लड़ते रहे तुम ही अकेले
जूझते रहे शत्रु से अकेले
काश !मै तुमसे लिपट कर रोती
मै आँसुओ से प्यास बुझा लेती
पर तुम तो तिरंगे में लिपटकर आये
वीरगति को पाकर देश के काम आये
मै तुम्हे विदा करती
अग्नि के सुपर्द करती
मिल जाना पंच तत्वों में
बस यही कामना करती
चमको चाँद सितरो की तरह
जब तक है ये आकाश धरती
काश !मै तुम्हारे पास होती
तुम भी मेरे पास होते
दोनों ही शत्रु से लड़कर
वीर गति को प्राप्त होते
बस दुःख है मुझे इतना
कश्मीर है मेरा मायका
कश्मीर है तुम्हारी सुसराल
कैसे क्रूर कश्मीरी साले थे
छीना भारत माँ का लाल
ना समझना मुझको अबला नारी
मै भी बन जाउगी अब अत्याचारी
कसम खाती हूँ,जानू तुम्हारी
भले ही ये कार्य हो बड़ा भरी
मै अब रणचंडी बन जाउंगी
तभी तुम्हारा बदला ले पाऊँगी
जब तक एक सर के बदले,
सौ सर शत्रु के न लूंगी
तब तक चैन ,मै न लूंगी
पर एक ख़ुशी है मुझ को
दे गये अपना अंश मुझको
उसको पालपोस बड़ा करुँगी
उच्च शिक्षा उसको देकर
सेना में मै भरती करूंगी
बदला वह, तुम्हारा लेगा
पीछे वह कभी न हटेगा
स्वर्ग से उसको तुम देखोगे
आशीर्वाद वही से तुम दोगे
ये है एक पत्नी की अभिव्यक्ति
जलती रहे सदा ये अम्रर ज्योति
ये है जो इंडिया गेट हमारा
लहराता है जहा तिरंगा प्यारा
ये है भारत की उच्ची शान
इस पर अमर ज्योति जो जलती
है वीर अमर शहीदों की शान
हे ! शारदे माँ मुझको भी
दो ऐसी कुछ अपार शक्ति
मै भी कर सकू कुछ वयक्त
शहीद की पत्नि की अभिव्यक्ति
आर के रस्तोगी