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21 Jul 2020 · 1 min read

एक विरह गीत

देखें सावन का एक विरह गीत

ये सावन बीता जाये रे,मेरा मन घबराये रे।
घुमड़ घुमड़ कर कारी बदरी, मुझको बहुत सताये रे।।

विरहन तड़प रही मैं बनकर
आयेंगे साजन मेरे,
फूलों की इक भरी टोकरी
लायेंगे साजन मेरे।।
मन के सब अरमानों को ही, पल में हवा उड़ाए रे।

सखियां छेड़ रहीं हैं पल पल
बहुत चिढ़ाती हैं मुझको।
साजन दूर देश हैं मेरे
याद बहुत आते मुझको।।
एक एक अब बात पिया की,मुझको बहुत रुलाये रे।

बागों में कोयल की वाणी
कर्कश सी अब लगती है,
उपवन में फूलों की खुशबू,
मानों मुझको डसती है।।
नानी की अब कोई’ कहानी, मुझको नहीं सुहाये रे।
सावन बीता जाये रे,मेरा मन घबराये रे।।

??अटल मुरादाबादी?✍️

Language: Hindi
Tag: गीत
4 Likes · 2 Comments · 224 Views
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