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23 Jan 2022 · 1 min read

एक विनती

बुझ गया दीप-ए-गुलशन
कुछ पल के झोंको से ही‌,
ढह गए सपने हजार
कुछ पल की गलतियों से ही‌।

सोचा कुछ कर दूं नया,
बस सोचता ही रह गया।
सपनों के ख्यालात में,
वर्त्तमान तो भूल ही गया।

मैं करता विनती तुफां से
तू आ मेरे में जा समा,
तू अपना साहस व जुनून
आ भर दे मुझमें।

Language: Hindi
1 Like · 219 Views
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