Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jul 2021 · 1 min read

एक विचित्र प्राणी

सब कुछ खत्म हो गया
फिर भी उसे
अपने परिवार का ख्याल नहीं
आया
अब न जाने
किस का अंत करना
रह गया है शेष
यह आदमी किस तरह की बुद्धि का
एक विचित्र प्राणी है
अपने को तो इस तरह का
अमानवीय,
क्रूर और
अकल्पनीय व्यवहार
समझ न आया
रास न आया
एक पल को भी
जीवन भर न भाया।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
257 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Minal Aggarwal
View all
You may also like:
जीवनसाथी  तुम ही  हो  मेरे, कोई  और -नहीं।
जीवनसाथी तुम ही हो मेरे, कोई और -नहीं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कविता-आ रहे प्रभु राम अयोध्या 🙏
कविता-आ रहे प्रभु राम अयोध्या 🙏
Madhuri Markandy
बेघर एक
बेघर एक "परिंदा" है..!
पंकज परिंदा
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
विषम परिस्थियां
विषम परिस्थियां
Dr fauzia Naseem shad
वह गांव की एक शाम
वह गांव की एक शाम
मधुसूदन गौतम
मेरे हाथों से छूट गई वो नाजुक सी डोर,
मेरे हाथों से छूट गई वो नाजुक सी डोर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
23/198. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/198. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
■ एम है तो एम है।
■ एम है तो एम है।
*प्रणय*
मात-पिता गुरु का ऋण बड़ा, जन्मों न चुक पाए
मात-पिता गुरु का ऋण बड़ा, जन्मों न चुक पाए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कभी लगे  इस ओर है,
कभी लगे इस ओर है,
sushil sarna
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
Harminder Kaur
" ठिठक गए पल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
" बेताबी "
Dr. Kishan tandon kranti
जो लोग धन धान्य से संपन्न सामाजिक स्तर पर बड़े होते है अक्सर
जो लोग धन धान्य से संपन्न सामाजिक स्तर पर बड़े होते है अक्सर
Rj Anand Prajapati
Dear  Black cat 🐱
Dear Black cat 🐱
Otteri Selvakumar
लपेट कर नक़ाब  हर शक्स रोज आता है ।
लपेट कर नक़ाब हर शक्स रोज आता है ।
Ashwini sharma
कौन किसकी कहानी सुनाता है
कौन किसकी कहानी सुनाता है
Manoj Mahato
कितना आसान है न बुद्ध बनना, अपनी दूधमुंही संतान को और सोती ह
कितना आसान है न बुद्ध बनना, अपनी दूधमुंही संतान को और सोती ह
Neelam Sharma
मी ठू ( मैं हूँ ना )
मी ठू ( मैं हूँ ना )
Mahender Singh
कोई होटल की बिखरी ओस में भींग रहा है
कोई होटल की बिखरी ओस में भींग रहा है
Akash Yadav
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
हुए प्रकाशित हम बाहर से,
हुए प्रकाशित हम बाहर से,
Sanjay ' शून्य'
प्रेम गजब है
प्रेम गजब है
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मुक्तक
मुक्तक
कृष्णकांत गुर्जर
हर्षित आभा रंगों में समेट कर, फ़ाल्गुन लो फिर आया है,
हर्षित आभा रंगों में समेट कर, फ़ाल्गुन लो फिर आया है,
Manisha Manjari
बहुत खुश हुआ कुछ दिनों के बाद
बहुत खुश हुआ कुछ दिनों के बाद
Rituraj shivem verma
कुछ लोग होते है जो रिश्तों को महज़ इक औपचारिकता भर मानते है
कुछ लोग होते है जो रिश्तों को महज़ इक औपचारिकता भर मानते है
पूर्वार्थ
मान जाने से है वो डरती
मान जाने से है वो डरती
Buddha Prakash
Loading...