दो मुक्तक -आर के रस्तोगी
मंजिल बहुत है,तो अफ़साने भी बहुत है |
जिन्दगी की राह में,इम्तिहान भी बहुत है ||
मत करो दुःख उसका,जो बीत गया है |
दुनिया में खुश रहने के बहाने बहुत है ||
खाते नहीं फल वृक्ष,जो फल से लदे हुए |
देते ज्ञानी ज्ञान को जो ज्ञान से लदे हुए ||
अज्ञानी ज्ञान को क्यों नही अर्जित करते ?
क्योकि वे काफी अज्ञान से है लदे हुए ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम (हरियाणा)