एक मासूम की मौत !
एक मासूम की मौत !
लोगो के व्हाट्स अप की डी पी पर देख कर मुझे ये ख्याल आया है .
डी पी पर जलती मोमबत्ती
क्या एक मासूम को
ला सकती है वापिस?
जलानी है मोमबती
तो गुनाहगारो के दिलो में जलाओ
उन्हें समझाओ
गुनाह करने से पहले
एक बार सोचे
क्या करने जा रहा है वो
किसी की दुनिया
उजाड़ रहा है वो
किस की गलती है ये?
क्या अकेले वो गुनाहगार है?
हम भी बराबर के शरीक है इसमें।
अपनी अमीरी दिखाने की खातिर
करते है खिलवाड़ अपने बच्चों से
कितने मासूम चढ़ जाते है बलि
ऐसे ही गुनाहगारो के हाथों से
हम अब पत्थर हो चुके
तब तक नहीं जागते
जब तक कुछ हो ना जाये
इंतजार करते है
कुछ घटने का
कुछ अनहोनी होने का
आदत बन गयी है
हम सब की
अभी थोड़ा जागे है
मोमबतियां जलाने की खातिर
फिर सो जायेंगे इन्हें बुझा कर
एक बार फिर से जलाने के लिए
फिर करेंगे इंतजार
कुछ बुरा होने का