एक भीड चल पडी थी
एक भीड चल पडी थी राह पर,कुछ हसीन सपने लिये
हर पल सजौता गया,सिर्फ और सिर्फ अपने लिए
दे रखा था फरेब साथ मे रहने का
किसे पता कि क्या मतलब है कहने का
चलते-चलते राह मे भीड से अजनबी
और अजनबी से दोस्त हो गये
एक रौनक थी चेहरे पर और हर दाव जिंदगी से खेल गये
खेलते-खेलते बहुत ज्यादा करीब हो गये
समय मिलते ही जिंदगी भी एक दाव खेल गयी
सबकी राह एक रख गयी,एक दुसरे से बेखबर कर गयी
दोस्त थे,अजनबी हुये और फिर भीड हो गयी
वो भीड टूटे पुल की थी,मै पलट कुछ क्षण मंदिर निहार गया
अब सिर्फ महसूस कर,ब्याँ नही कर सकता
एक रौनक फिर आयी चेहरे पर,
आज फिर उस पुरानी सड़क से गुजरा
तो किताबो को कंधो पर लिये एक भीड नजर आयी
आंखो ने देखा ओर धड़कन रुक आयी
कि जब उस भीड मे अपनी यादे नजर आयी
देखकर उस भीड को एक मुस्कान
और दिल मे सिर्फ एक बात आयी
“एक भीड चल पडी है राह पर
कुछ हसीन सपने लिये
हर पल सजा रहा है ये
सिर्फ और सिर्फ अपने लिये”..
…… .शक्ति……..