एक बीमारी हमने देखी,
एक बीमारी हमने देखी,
जिसके हाँथ न पांव।
जन्म हुआ था चीन में,
बड़े गहरे इसके घाव ।।1।।
ये न देखे जात पात,
ये धर्म न कोई जाने।
न अमीर न गरीब कोई,
ये किसी को न पहचाने ।।2।।
अबतक दुनियां में लाखों की,
इससे चली गयी है जान
घर मे रह हांथों को धोना,
बस बचा यही रामबाण ।।3।।
है यह राक्षस रूपी दानव,
यह छोटा सा है किटाणु।
इसकी ताक़त के आगे भी,
काम करे न बम परमाणु ।।4।।
स्वरचित
तरुण सिंह पवार