एक बिहारी सब पर भारी!!!
एक बिहारी सब पर भारी!!!
कोई सात–आठ साल पहले की एक रोचक घटना।
पटना पुस्तक मेले में एक व्यक्ति चिल्ला चिल्ला के कुछ कविता टाइप की चीज़ पढ़ रहा था। हर तीन–चार पंक्ति पढ़ने के बाद उसकी टेक होती थी – ‘एक बिहारी सब पर भारी, वाह बिहारी’!
और, मजेदार यह कि वहां अपनी ‘वाह! वाह’ और तालियाँ लुटाते श्रोताओं की कमी नहीं थी!