एक बार फिर ।
एक बार फिर थामाँ है हाथ मेरा तुमने
गिरते लड़खड़ाते कदमो को मेरे, सराहा है तुमने
अतीत की परछाइयों ने घेरा जब मुझको
अंधेरो से लड़ना सिखाया है तुमने।
भविष्य की गहराइयों में डूबा जब मन मेरा
गोते लगा, तैरना सिखाया है तुमने
रौशनी का हर गीत गुनगुनाया है तुमने
एक बार फिर थाम है हाथ मेरा तुमने ।
गहरे हैं राज़, इस कम्बख़्त ज़िन्दगी में
पर्दो के बीच झरोखे बनाएं भी है तुमने
अंधियारे दिन और स्याह रातों को भी
लोरी सुनाकर सुलाया है तुमने
नारंगी शामों को मेरी, आवाज़ दी है तुमने
फिर रौशनी का दीपक भी जलाया है तुमने
एक बार फिर, थामा है हाथ मेरा, तुमने।
कठिन थी राहें, जटिल थे रास्ते
राहगीर बन साथ निभाया है तुमने
गहरे सागर का साहिल बन दिखाया है तुमने
ऊँचे पर्वत की चोटी पर चढ़ना सिखाया है तुमने
कदम जो फिसले, मुझको भी थामा है तुमने
एक बार फिर थामा है हाथ मेरा तुमने।
कांटे थे फूलों संग जीवन के उपवन में
कांटे छोड़, फूलों की महक बनना सिखाया है तुमने
ज़रा भीगी हैं पलकें तो क्या
उनमे इंद्र धनुष भी दिखाया है तुमने
एक बार फिर थाम है हाथ मेरा तुमने ।