” एक बार फिर से तूं आजा “
फिर से बाते वो पुरानी
करने तू आजा…।
एक बार साथ तू मेरा
देने आजा…।।
चाहती हूँ आज भी
मैं तुझें उतना…।
जितना कि तूने मुझे
पहले भी नहीं चाहा…।।
तेरे प्यार ने तो मुझे
पागल बना दिया…।
पर तू तो मौसम की
तरह बदल गया…।।
आज भी खड़ी हूँ
राह पर तेरी…।
पर तूने तो रास्ता ही
बदल दिया…।।
जागती हैं आज भी
आँखें मेरी रातों मे…।
पर ख्वाब मे भी आना
तूने छोड़ दिया…।।
लेखिका- आरती सिरसाट
बुरहानपुर मध्यप्रदेश
मौलिक एवं स्वरचित रचना