एक फरिश्ता
मिला था सपनों में एक फरिश्ता;
समझ ना आया उससे क्या है रिश्ता;
कभी मुझे यह दीपक-बाती सा नजर आया;
जैसे भक्त ने था भगवान को पाया;
कभी मुझे है चंदन- पानी सा नजर आया;
जीवन को मेरे खुशबू सा महकाया;
कभी मुझे है चांद- चकोर सा नजर आया;
दूर क्षितिज पर मिलन जिससे पाया;
कभी मुझे है फूल -धागा सा नजर आया;
माला के रूप में बंधन सा पाया;
कभी मुझे है स्वामी-दास सा नजर आया;
मीरा रूप में जिसे मैंने पाया।।
✍माधुरी शर्मा मधुर
अंबाला हरियाणा। (21.09.19)
10:23pm (शनिवार)