“प्रार्थना”
हे ईश्वर ! रखें सबको सलामत,
सदाचार सबमें मिले,
कुछ ज्ञान भरो जीवन में,
नेक राह पर सब चलें।
निर्भय हो विश्व जहां,
सबमें हो मानवता का संचार ,
बैरी न हो कोई किसी का,
सबको मिले अपना अधिकार।
काम आये हर कोई किसी के,
दुःख में हो या सुख में हो,
सबका हो खुशहाल जीवन,
नेक भाव जन-जन में हो।
बढ़ रही है द्वेष भावना,
झोंको की रफ्तार से,
कहीं ऐसा न हो कि मानवता,
उठ जाये संसार से।
है छोटी सी विनती मेरी,
सुध लो, हे दीनदयाल!
बेगुनाहों को न सजा मिले
बस इतना रखना ख्याल।
उठ जायेगी आस्था सबकी
जब न्याय नहीं पायेंगे लोग,
कुंठित होगी मनोवृत्ति,
दुविधा में पड़ जायेंगे लोग।।
वर्षा (एक काव्य संग्रह)/ युवराज राकेश चौरसिया
मो-9120639958