एक प्रार्थना देश के किसानों के लिए
एक प्रार्थना देश के किसानों के लिए
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हे ईश्वर
इस सुन्दर शस्य श्यामलां
भूमि को क्या हो गया
वो जल
जो यहां कल तक
हर गांव – गली, मैदानों पठारों और पहाड़ों
के हर मोड़ पर
किलकारी मारा करता था
आज भूमि में
न जाने कितने नीचे
है – कहाँ खो सा गया.
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वो परिश्रमी मेहनती किसान
जो सदियों- सदियों से
अपने कुओं तालाबों से पानी भर
भरपूर फसल उगाते थे
और जिनके खेत और खलिहान
ही नहीं उनके सूबे और राज्य भी
अन्न, फल, फूल और मेवों से
जो धन और खुशहाली भर- भर
जाया करते थे
हर गांव – गली, मैदानों में
पठारों और पहाड़ों, वनों आदि में
और जहां नदियों और तालाबों के
के हर मोड़ पर जहां
ये जल कल-कल कर बहता था
वही जल आज
भूमि में न जाने कितने नीचे
कहीं खोता ही जा रहा है.
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जिन खेतों की फसलों से
हमारे किसानों के घर-बार
दूध और घी की नदियां बहाते थे
आज वो बेसहारा और बेबस बने
आत्म हत्या का विकल्प ढूंढ रहे हैं
और हमारे धन कुबेर
इस किसानों के खेतों के लिए
अपना जल लिए आई
नदियों का जल
उनसे छीन कर
क्रिकेट के मैदानों में
घास की हरियाली को
बनाये रखना चाहते हैं
जिससे कि आईपीएल जैसे खेलों से
करोड़ों और अरबों -खरबों कमा कर
इन्ही गरीब किसानों की भूमि को
उनसे छीन कर
और ऊंची इमारतें और
विशाल कालोनियां बना कर
सारे के सारे खेतों को
खूबसूरत बस्तियों में परिवर्तित कर
एक नया भारत बना सकें.
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जहां मजदूर तो होगा पर
फसल उगाने वाल किसान नहीं
जहां पैसा तो होगा
पर आम के पेड़ और खेत खलिहान नहीं
जहां शहर तो होगा
पर गाँव और तालाब नहीं
जहां आधुनिकता तो होगी पर
पनघट की वो मस्तियाँ नहीं
जहां शोर और हल्ला बोल तो होगा
पर संगीत और कान्हा की बाँसुरिया नहीं
जिसे सुन मन ही नहीं
आत्मा भी
तृप्त हो नृत्य करने लगती है।.
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आज वो किसान दुखी और बेबस है
उनके जल को चुरा लिया है
आधुनिक मशीनों ने और बेशुमार
भू जल का दोहन करते पम्पों ने
खेतिहर उपजाऊ जमीन पर बेतरतीब
बना डाली गयी
उद्योगिक इकाइयों से निकलते
पदूषण के जहर ने और
जिसके नीचे दिन दूनी रात चौगुनी
हो बढ़ती
आबादी और गंदगी का बेढंगा बोझ
खेतों की जगह फैले हुए शहरों ने
और उन बेशुमार
रोज दुगनी गति से बनती फैलती
ऊंची ऊंची विशाल इमारतों के
कभी न खत्म होने वाले दुष्चक्र ने
भारत की सुन्दर शस्य श्यामलां
भूमि को जल हीन और श्री हीन
बना यहां की खुशाली को
सदा के लिए बेगाना सा कर दिया है.
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राजनेता केवल
लीपापोती कर चुप हैं
बड़े बड़े बिल्डर्स और घरानों के सामने भला
कैसे कोई मुंह खोलें
और अब तो बड़े बड़े घराने भी
भारत के इस अनमोल खेती के खजाने को
लूटने को तत्पर बैठे हैं
फिर भला कैसे रोक सकता है कोई
प्रगति के चक्र या
बना दिए गए
इस दुष्चक्र को
जिसमे हम बस केवल
आज में जीते हैं
वो भी अपने लिए और केवल – सब पाने लिए
कुछ इस समाज और देश को दे सकें
ये तो अब एक दुस्वप्न कहलाता है
वो दिन गए
जब लोग पीने के पानी का
प्याऊ लगवाया करते थे
जब किसी प्यासे को पानी पिलाना
भूखे को भोजन कराना
महान पुण्य समझा जाता था
अब तो पानी और अन्न के लिए
लोग किसी की भी जान
ले सकते हैं ।
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हाँ ये जरूर है कि आज में
और केवल अपने लिए जीने वाले
ये स्वार्थी और लोभी लोग
अभी प्रकृति के रौद्र रूप से अंजान हैं
और वो ये भी नहीं जानते कि
किसान प्रकृति की रखवाली करने वाला
प्रकृति का ही
एक बेटा या बेटी होता है
जिसके विनाश और उसके खेतों का नष्ट होना
ये ईश्वर को भी
कभी नहीं भाएगा
और वो दिन दूर नहीं
जब इन्हीं किसानों की फसलों
को निगल जाने वाले
एक दिन
अपना सब कुछ दे कर भी
अन्न और जल के दाने दाने के लिए
दर दर भटकेंगे और उन्हें
शायद तब अहसास होगा
अपने स्वार्थ के लिए
इन मासूम से किसानों का सब कुछ
लूट लेने वाले
बिल्डर्स और भूमाफियाओं को
कि उन्होंने अपने ही पैरों पर
कुल्हाड़ी मारी है.
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और ये सच्चाई केवल
महाराष्ट्र के लिए ही नहीं है
पूरे देश के हर राज्य में
ऐसे ही भूमि और भूजल का दोहन,
नदियों और खेतों का विनाश
बहुत जल्द
भूमी और जल का
एक गम्भीरतम संकट बन
शहरों को भी
अपने साथ ले डूबेगा।
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आइए हम और आप सभी मिल प्रार्थना करें
और अपनी कुछ आदतों को
जल को बर्बाद करने की सुधारें और प्रार्थना करें
उस महान दयावान भगवान्
और ईश्वर से
कि वो जल और जमीन को
बर्बाद करने वालों को
शद बुद्धि दे और हमें
इस जल को और अपनी इस पवित्र भूमि और
इसके रखवाले किसानों को
फिर से एक बार अट्ठारहवीं सदी के
पहले वाले सोने की चिड़िया वाले भारत को
फिर से लौटा लाने और
अपने इन मासूम किसानों को
आज के लोभी धनवानों की कुदृष्टि से बचा
उनकी जमीन और जल को पुनः
जीवन दायनी समझ संरक्षरित करने की
हमारी इस प्रार्थना को सुन
इन किसानों को धैर्य, साहस
और सामर्थ्य दे.
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है ईश्वर
आपसे विनती है कि
भारत के सभी राज्यों के किसानों पर
अपनी कृपा दृष्ट्री और
उनके खेतों और भूमि को जल से
परिपूर्ण रखने की
प्रार्थना को
स्वीकार कर इन मासूम किसानों को
अपनी कृपा और जीवन जीने का वरदान दें
और
और उनके प्यासे खेतों और बागानों को
फिर से जल और जीवन से ओतप्रोत
करने का आशीर्वाद दें.
कानपूर इंडिया ०९ अप्रैल २०१६
Ravindra K Kapoor
02 Sept.2017