एक पाती – दोस्ती के नाम
जीवन के लंबे सफर में, मिलते हैं साथी बिछड़ने के लिए।
कुछ कदम साथ चलते, अपनी छाप छोड़ने के लिए।
फरवरी 1990 में हुई पहली मुलाकात,
बड़ी होने पर भी, दिया दोस्ती का एहसास।
एक अलग ही कशिश थी, उषा के अस्तित्व में,
सादगी, मिलनसार और अपनापन था व्यवहार में।
कैसे वक़्त बीता उषा के साथ में,
बात शुरू होकर खत्म होती सबकी हाँ में।
अपनी बात को सही साबित करती तर्क से,
कोई माने ना माने नहीं फर्क़ पड़ता इससे।
मेहनती इतनी कि वक़्त का अह्सास नहीं होता काम में,
बच्चों को पढ़ाने की लगन दिखती हर भाव में।
गणित तो कूटकूट कर भरा रगों में खानदानी,
बेहोशी में भी पढ़ा देती है vectors और Trigonometry।
ऊषा है सबके लिए एक मिसाल,
लगन, मेहनत, निष्ठा, अनुशासन, ईमानदारी का मेल बेमिसाल।
जो काम लेती हाथ में, उसको करती पूर्णता से,
नई तकनीक, कंप्युटर कौशल भी सीखा लगनता से।
हम दोनों ने 33 साल बिताए साथ में,
बच्चे भी बढ़े और पढें साथ में।
स्वेटर भी बनाए एक जैसे, बहुत समानता है हम दोनों में,
ज़िंदगी के उतार-चढाव देखे, दुःख दर्द भी बांटे साथ में।
नहीं मालूम कैसे होगें बिन तुम्हारे ये बचे पाँच साल,
बहुत याद आओगी, ना भुला पाएंगे साथ बीते साल।
वक़्त बदला, लोग बदले और बदला उनका स्वभाव,
हम-तुम ना बदले, ना बदले हमारे भाव।
अनिल जी का सरल स्वभाव, हमेशा ही दिल को भाया,
दुआ करते हैं उम्र हो उनकी लंबी और स्वस्थ रहें हमेशा उनकी काया।
मयंक और अनन्या को मिले, जो हो उनकी तमन्ना,
हर खुशी और समृद्धि हो उनके अंगना।
अंकल जी और आंटी जी को हमारा प्रणाम,
उन जैसा ना देखा और ना सुना कोई नाम।
अलविदा नहीं कह पाऊँगी तुम्हें, क्यूंकि रहोगी हमेशा दिल के पास,
जब भी हो जरूरत मेरी, पाओगी हमेशा अपने पास।
खुश रहना, रहना स्वस्थ हमेशा,
जीवन का हर लक्ष्य पाओगी यह है भरोसा।
रखना एक बात याद, ये छोटी बहन है हमेशा तेरे साथ,
बहुत याद आओगी, ना भुला पाएंगे साथ बीते साल।