एक पल में जीना सीख ले बंदे
एक पल में जीना सीख ले बंदे
पल- पल हर -पल खोने का डर हैं।
गमों की लड़ी को तोड़ दे बंदे ।
अब सोच को छोड़ दे बंदे
जीवन से नाता जोड़ ले बंदे ।
ले आ जीवन की खुशहाली
छोड़ दो लचारी भरी नाचारी
एक पल में जीना सीख ले बंदे
पल-पल हर – पल खोने का डर हैं।
गमों की लड़ी को तोड़ दें बंदे ।
तेरा तन भी सुंदर, तेरा मन भी हो जाए सुंदर।
दे कृपा के वासी वो कल्याणी महादानी।
अब जीवन जीना सीख ले बंदे ।
किस-किस को तरसेगा तू, सही – सही बोल दे बंदे
एक पल …
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डॉ.सीमा कुमारी बिहार भागलपुर दिनांक15-6-022 की मौलिक स्वरचित रचना जिसे आज प्रकाशित कर रही हूं।