एक पते की बात
एक पते की बात बताऊं, सबहूं कहूं सनमाने
धर्म रहे हृदय स्थाने, जो नर यह पहचाने
सदा पाप से दूर रहे वह, ईश्वर अल्लाह जाने
एक पते की बात बताऊं, नहीं जिहाद मनमानी
कुदरत की इस कायनात पर, हिंसा है बेमानी
एक पते की बात बताऊं, वंदे माने या न माने
खुद को जो न जान सके, वह खुदा को क्या पहचाने
एक पते की बात बताऊं, सिया राम जग जाने
स्वयं में जो न रमा, राम को वो नर कैंसे जाने
एक पते की बात बताऊं, आगे अल्ला जाने
होती नहीं जिहाद है ऐसी, जो ले बेगुनाहों की जानें
एक पते की बात बताऊं, समझो तो समझाऊं
एक है धरती एक गगन है, एक ही सबकी जानें
एक ही मात पिता की बंदे, सब जग हैं संतानें
एक पते की बात बताऊं, है यह लिखा लिखाया
मानव होकर मानवता को, जो नर समझ ना पाया
पशुपत होकर रहा जगत में, जीवन व्यर्थ गवाया
एक पते की बात बताऊं, बंदे जाने या ना जाने
प्रेम जगत का सार है बंधु, बाकी सभी फंसाने
सुरेश कुमार चतुर्वेदी