एक नसीहत
चले थे प्रधानमंत्री बनने पर अपने अनर्गल प्रलापों की वजह से ,
अपनी प्राथमिक सदस्यता तक गवां बैठे,
देश के कानून एवं संविधान को अपनी बपौती समझने वाले राजकुमार ,
उल्टे मुंह की खाकर सड़क पर आ बैठे ,
पद गरिमा एवं मर्यादा क्या होती है से अनभिज्ञ
दूसरों के निर्देशों पर राजनीति करने की चेष्टा में स्वयं को संकट मे डालने वाले ,
देश की शासन व्यवस्था एवं शासन तंत्र ,
न्याय प्रक्रिया एवं न्यायधीशों की निष्पक्षता पर
संदेह करने वाले ,
शायद ये भूल गए कि राजनीति के कुछ ठोस
मापदंड होते हैं , जिन्हे सत्तापक्ष एवं विपक्ष को पालन करने होते हैं,
राजनीति के आधार विकास , जनकल्याण ,
सर्वधर्म संभाव एवं जन -जन में
राष्ट्रीयता भाव जागृत करने होते है ,
जनता की मूलभूत समस्याओं के मुद्दों पर
विचार एवं उनके समाधान के लिए
प्रयास करने होते है ,
दोषारोपण , चारित्रिक हनन् एवं नाटकीयता से विपक्ष कमजोर होता है ,
और सत्ता पक्ष को इनसे बल मिलता है ,
वोट बैंक की राजनीति एवं जोड़-तोड़ की राजनीति अस्थायी होती है ,
राजनीति में स्थायित्व के लिए समर्पित सेवा भावना से जनता का विश्वास जीतने की जरूरत होती है ,
विकट परिस्थितियों में भी जनता का साथ देने की जरूरत होती है ,
अभी भी समय है, होश में आओ !
अपनी गलतियां सुधारो ! अपना ज्ञान बढ़ाओ !
आत्मचिंतन करो !
आसमान में उड़ने की बजाय जमीन से जुड़ने की कोशिश करो !
औरों के कहने पर चलने की बजाय अपना आत्मविश्वास एवं विवेक जागृत करो !
अन्यथा उन्नति के पथ पर अग्रसर होने के स्थान पर अधोगति ही हाथ लगेगी ,
जनता तुम्हें भुलाकर कभी याद ना करेगी।