एक दिया जलाये
एक दीया जलाए –
चलो आज एक दीया जलाए राम राज्य की अलख जगाए।।
तमस अंधकार मिटाए चलो एक दीया जलाए राम राज्य की अलख जगाए।।
ज्ञान कि ज्योति मन बुद्धि का प्रकाश चलो आज एक दीया जलाए राम राज्य की अलख जगाए ।।
द्वेष घृणा त्यागे मिटे बैर भाव का अंधकार चलो आज एक दीया जलाए राम राज्य की अलख जगाए।।
दुःख दरिद्रता ना आवे पास सम भाव का युग निर्माण चलो आज एक दीया जलाए रामराज्य का अलख जगाए ।।
शुख शांति बैभव कि लक्ष्मी पूजन वंन्दन ऋद्धि सिद्धि कि गणपति आराधना जीवन का धन धान्य चलो आज एक दीया जलाए राम राज्य का अलख जगाए।।
संस्कृति संस्कार का दीपक मर्यादा मूल्यों कि बाती भावों का घृत तेल प्रेम परस्पर कि लौ जलाए चलो आज एक दीया जलाए राम राज्य कि अलख जलाए।।
मानव मूल्यों का उत्सव सत्य जीत असत्य हार जीवन अंधकार पथ का उजियार चलो एक दीया जलाए राम राज्य कि अलख जगाए।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उतर प्रदेश।।