एक दिन…!
शीर्षक – एक दिन…!
विधा – कविता
परिचय -ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो. रघुनाथगढ़, सीकर राज.
पिन 332027
मो. 9001321438
एक दिन,दो दिन,
तीन दिन….
….. नहीं!
खामोश थे लब
आँखें थी लाचार
पृथ्वी परिक्रमण
अवधि से अधिक।
बसंत पहली बार आया
बिना कलैंडर समय आया
मौन होकर एक रास्ता
गुजर गया बेंध कर हृदय।
जाना पहली बार आया
शुष्क मरू में एक पुष्प
रूप-रूप-रूप अनूप
साधना फल है रूप
प्रार्थनाओं का प्रभाव स्पष्ट।