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23 Mar 2019 · 1 min read

एक दिन भूल जाते हैं

बिती रैना जब हम एक दिन भूल जाते हैं
नई यादों से पुरानी यादें ‌जब धूल जातें हैं।

अब नहीं कहेंगे किसी से अपने दिल का हाल
कुछ जिम्मे है अब मेरे,जो सहरा से झूल जातें हैं।

कसूर नहीं है आँखो का बस दान करना चाहते हैं
कसमकस में कोई देख ले,तो कुछ राज खूल जातें हैं।

हम अर्ज़ करते रह गये, उन्हें ग़ैर-वसूल जातें हैं
तेरी फना से हट किसी और को कबूल जाते है।

‘राव’फूल की महक तो गूलिस्ता में ही अच्छी लगती हैं
कभी सुना है कि महकता हैं वो कब्रिस्तान जहां टूटकर फूल जातें हैं।

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