एक दर्द भरी ग़ज़ल
क्या किया वर्षों पुराने आपने अहसास का।
एक पल ही जान लेते हाल जिंदा लाश का।।
हम तुम्हारी बाट में ही रात को सोते नहीं।
आप अंदाजा लगालो अब हमारी प्यास का।।
दर्द होता है बहुत जो जख्म अपनों से मिले।
इसलिए न तोड़ देना दिल किसी भी खास का।।
एक तो विश्वास तोड़ा आपने मेरा सनम।
दूसरे अब न भरोसा है हमारी सांस का।।
चल दिए हैं छोड़कर साथी हमारे आज क्यों।
आज वाकी न बचा है कोई मेरे साथ का।।
© कवि गोपाल पाठक (कृष्णा)
बरेली(उत्तर प्रदेश)
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