एक था राजीव (पूर्व प्रधानमंत्री स्व श्री राजीव गांधी जी की याद में)
दुनिया में सबसे जुदा जिसका अंदाज था,
वो हम सबकी आंखों का तारा राजीव था।
देश की गंदी राजनीति जैसे कीचड़ में वो,
एक पाक और ज़हीन कमल का फूल था।
एक आला दर्जे की शख्सियत थी उसकी ,
इंसान के भेष में वो एक फरिश्ता ही था।
आंखों में प्यार और लबों पर तबस्सुम थी ,
दिलकश अंदाज और तहजीब में उम्दा था।
एक नज़र में किसी का भी दिल जीत ले ,
दिलों को जीतने का हुनर उसमें जो था।
सियासत औ सत्ता से उसका वास्ता ना था,
हवाई जहाज उड़ाना ही जिसका शौक था।
पायलट बनने का ख्वाब उसे बचपन से था,
ये ख्वाब मुकम्मल हुआ जो उसे अज़ीज़ था।
मगर अचानक तकदीर ने ऐसी करवट ली ,
उस राह पर आया जिसको कभी सोचा न था।
पहरी के भेष में कज़ा मां को छीन ले गई,
जाने कहां से जिंदगी में ये तूफान आया था ।
ना चाहते हुए भी सियासत की डगर पर चला,
अंजान थी डगर क्योंकि तजुर्बा जो नहीं था।
मगर जैसे ही तजुर्बेकार लोगों की मदद मिली ,
उसका तजुर्बा भी सियासत में बढ़ने लगा था।
वतन के लिए उसने तरक्की के रास्ते खोले ,
क्योंकि मां के अधूरे ख्वाबों को पूरा करना था।
समाज के हर तबके वास्ते इल्म ओ तालीम में,
नई तकनीकी कंप्यूटर को भी साथ जोड़ा था।
शहर और गांव नई तकनीकी से वाकिफ हुए,
लोगों के लिए रोजगार का नया रास्ता खुला था ।
उसकी नजर में औरत/मर्द में कोई फर्क ना था,
सबके लिए इल्म /रोजगार का मौका बराबर था।
राजीव ने देश औ विदेश में सबका दिल जीता,
अज़ीम शख्सियत से दुनिया में अजीज बना था।
बच्चे ,बूढ़े और जवान सभी उसे चाहने लगे थे,
औरतों की कद्र करने वाला उनका भी चहेता था।
मगर हाय री तकदीर !जाने किसकी नजर लगी ,
वो हसीन फूल बेदर्दी से किसने मसला था।
जिस नारी जाति की कद्र करता था वही उसकी ,
मौत की वजह बनी ,यह कहर उसी ने ढाया था।
याद कर उस हादसे को रूह मेरी सिहर जाती है,
कैसे नाजुक सा जिस्म बंब से उड़ा दिया गया था।
वो मासूम समझ न सका जो उसके साथ हुआ,
“मेरे साथ ये जुल्म क्यों ” उसकी रूह ने सोचा था।
हमें यकीं है खुदा ने कातिल को सजा दी होगी ,
राजीव के साथ इंसाफ तो उसने करना ही था।
औ हमारे प्यारे हरदिल अजीज राजीव को उसने ,
अपने दिल के करीब अपनी पनाह में रखा होगा ।
राजीव एक रोशन सितारे की जैसे जगमगाता रहेगा ,
उसकी शान कभी कम न होगी ,वो कोहिनूर था ।