एक तपिश भरी ज़िंदगी
एक तपिश भरी ज़िंदगी
थकती हुई दौड़ती सी एक तपिश भरी ज़िंदगी,
काँटों भारी राहों मे मखमल तलाशती ज़िंदगी
भरी हुई मुट्ठियों से रेत सी फिसलती है ज़िंदगी ,
भीड़ मे भी अकेली और तन्हा है ज़िंदगी ,
बहुत कुछ समेटा संभाल कर रखा बहुत सहेज़ कर,
आज जेब टटोली तो सब खाली था इस कदर,
समंदर था सामने मगर प्यासी थी ज़िंदगी,
थकती हुई दौड़ती सी……………………..
कसमें, वादे, प्यार के वो पल बड़े हंसी थे,
गाते मुस्कुराते वो लम्हे कम नहीं थे,
पलट के देख ऐ ज़िंदगी क्या तेरे हम नहीं थे,
आँधियों की आड़ में हवाओं का सुकून ढूंढती ये ज़िंदगी ,
थकती हुई दौड़ती सी ……………………………………..
क्यूँ भागती हुई जिंदगी के हमसफर बन गए,
ना जाने कौन से डर में कहीं सिमट के रह गए,
कल जिनके कदमों से कदम मिला के चले थे,
उन कदमों की आहट से अंजान खो गई कहीं ज़िंदगी,
थकती हुई दौड़ती सी ……………………………………..
रजनी एक एहसास