एक टीस पापा की कमी की
शीर्षक: एक टीस पापा की कमी की
एक टीस..
एक टीस रह रह उठती हैं
मन मे की प्रश्न खड़े करती हैं
टीस के जख्म दिखते नही किसी को
पर पीड़ा मुझे असहनीय देती हैं
एक टीस…
यादो की बयार बहती हैं
तो दबा दर्द उखड़ आता हैं
फिर न जाने क्यों
रह-रह यादो का गुबार उठता हैं
एक टीस…
वक्त बीत गया आपके बिन
जीवन भी बीत जाएगा
एक दिन फिर से ऊपर ही
मिलन का नजारा दिखेगा
एक टीस…
वक्त तो बीत ही जाता हैं पर
यादे साथ चलती हैं
आपके प्यार के वो पल
रह रह टीस देते हैं
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद