एक जख्मी शेर ने कहा
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस
गोली से जख्मी शेर ने, चलते चलते एक शेर कहा
छुप कर मार दी गोली, और शिकार शेर का कहा
शायद यही है आदमीयत, धोखे से जाल में फंसाना सिर्फ मेरी खाल के लिए, तारों में करंट बिछाना
मेरे पीने के पानी में, जहर का मिलाना
शायद तुम्हारी यही आदमीयत है, आदमी की यही रबायत है
तुम खा रहे हो, धरती के हर जीव जंतु को
मिटा रहे हो अस्तित्व, पेड़ पौधे जैंसे बंधु को
मिटा कर सबको, मुझे आदमखोर कहते हो
काम शैतान के, खुद को आदमी कहते हो
सुरेश कुमार चतुर्वेदी