एक जंग
कर्म करो तुम कर्म करो,
दुनिया में अधर्म ना होने दो,
जलती हुई दीपक में तुम
ना पानी किसी को देने दो,
जब एक बार बुझ जाएगी दीपक,
भर जाएगा दीप जलों से,
फिर लिप्त हो जाएगी दुनिया सारी,
अंधकार की माया में |
है तुम्हें रोकनी होगी
इस विकट विध्वंस को,
लगाकर अपनी सारी शक्ति,
उतर जाना होगा तुम्हें
मैदान-ए-जंग में,
तब याद करेगी सारी दुनिया तुम्हें
एक मसीहा के रूप में,
बस, करना है एक जंग का ऐलान तुझे
अधर्म के खिलाफ में |