एक चुनाव देश में क्या आ गया –आर के रस्तोगी
एक चुनाव देश में क्या आ गया |
शहरों में एक तूफ़ान सा आ गया ||
कोंई बैनर लेकर चलता |
कोंई झंडे लेकर चलता ||
कोई लाउडस्पीकर से शोर मचाता |
कोई टी वी पर आकर शोर मचाता ||
कोई रोड शो खूब कराता |
कोई अपनी धाक जमाता ||
इन सब चीजो से देश तंग आ गया |
एक चुनाव देश में क्या आ गया ||
ये देश का फिकर नहीं करते |
ये केवल अपनी ही जेबे भरते ||
ये जनता से झूठे वादे करते |
पांच साल के बाद दर्शन देते ||
ये वोटरों का उल्लू का बनाकर |
अपना ही उल्लू सीधा करते ||
ये सदा उच्ची उच्ची हांका करते |
उनमे से एक भी पूरी नहीं करते ||
अब तो कलयुगी जमना आ गया |
एक चुनाव देश में क्या आ गया ||
ये गरीबी हटाने का वादा करते
पर पहले अपनी गरीबी हटाते
ये धर्म,जाति भाषा को लेकर
वोटरों को आपस में लडाते
ये सब महागठबंधन बना कर
केवल मोदी को हटाना चाहते
इन सबका उद्देश्य केवल यही है
जीत कर संसद में जाना चाहते
ये सब जनता को समझ आ गया
एक चुनाब देश में क्या आ गया
इनका कोई धर्म ईमान नहीं
अपनी ही ये चित पट करते
कभी कभी तो खुद थूक कर
खुद ही ये चाटा करते
ये अनपढ़ होकर भी
पढ़े लिखे को समझाते
कभी कभी ये पढ़ लिख कर
अनपढो जैसी बाते करते
ये कैसा चलन देश में आ गया
एक चुनाव देश में क्या आ गया
आर के रस्तोगी