एक गुलाब का फूल
यह
बंद किताब में
इसके पन्नों के बीच
दबा पड़ा
एक गुलाब का फूल
कभी तुम्हारी ही बगिया का
फूल था
यह किसी अपने की भीनी भीनी याद का
एक महकता मौसम है
दिल की छत पर रिमझिम बरसता सावन है
अंग अंग को मदहोश करता प्रेम का
आंगन है
एक बांसुरी की मीठी धुन बजाती
हवाओं का नरम आंचल है
यह शबनम के लब पर
लचकता
एक महुए के फूल की बहार है
आज वह नहीं तो
इसका अर्थ यह कदापि
नहीं कि
उसका अस्तित्व भी नहीं
उस सूखे गुलाब के फूल को
किताब के पन्नों के बीच से
खींचकर
इतनी बेरुखी से
कूड़े के ढेर में मत फेंको
यह भी चला जायेगा
सबको छोड़कर जैसे कभी
इसने अपना जीवन त्यागा था
लेकिन याद रखना
इसकी किताब के पन्नों में
रची बसी यादों के वजूद की खुशबू
ताउम्र एक साये की तरह
तुम्हारा पीछा करती रहेगी।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001