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24 Oct 2020 · 1 min read

एक ग़ज़ल

#डॉ_राहत_इंदौरी_साहब को समर्पित मेरी एक ग़ज़ल

सांस राहत की जरा लेकर कहूंगा,
मैं चमन में बन सदा खुशबू रहूंगा।
बाद मेरे देश के लोगों न रोना,
शायरी में मैं सदा जिंदा रहूंगा ।
बे – सहारा को सदा आवाज दूंगा,
मैं नहीं बारूद से भी अब डरूंगा ।
जब मजारों में दुआ जाकर करोगे,
शायरी फिर आपके मन की कहूंगा।
है बड़ा आराम इस मिट्टी तले भी,
आज से बस मैं इसी में ही रहूंगा ।

-श्रीभगवान बव्वा

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