एक ख्वाब सजाया था मैंने तुमको सोचकर
एक ख्वाब सजाया था मैंने तुमको सोचकर
जीवन की सभी ख्वाहिशों को थोड़ा रोककर
तुम जो मिलोगे तो फिर जीवन संवारेंगे
जीता है अभी तक जो बस तुम पर हारेंगे.
डॉ. दीपक मेवाती
एक ख्वाब सजाया था मैंने तुमको सोचकर
जीवन की सभी ख्वाहिशों को थोड़ा रोककर
तुम जो मिलोगे तो फिर जीवन संवारेंगे
जीता है अभी तक जो बस तुम पर हारेंगे.
डॉ. दीपक मेवाती