एक खास याद ‘बापू’ के नाम
।।।। हमारे बड़े बुज़ुर्ग हमारा स्वाभिमान हैं, हमारी धरोहर हैं। बुजुर्ग हमारे लिए सबसे बढ़कर होते हैं । हमेशा उनसे सलाह मशवरा लेना चाहिए। उन्हें सम्मान दें, उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें। बुजुर्ग हमारा वजूद है, ना कि हम पर बोझ ।।।।
एक खास याद ‘बापू’ के नाम
गली सुनसान, मोहल्ले में सन्नाटा था,
स्कूल से लौटी जब, बस्ता हाथ में था।
घर में रुदन, दिल में सुनापन था,
पापा मौन, भीड़ में अकेलापन था ।।
याद आपकी चुभती है,
हृदय में शूल बन अटकी है।
आपकी तस्वीर पर पड़ी धूल, मैं हटाऊंगी,
आपकी खूबियां, अब ‘मैं’ जगजाहिर करूंगी ||
कुर्ता पाजामा में, आपकी छवि,
सुनहरी यादों में शामिल है,
झुर्रीदार हाथ, लड़खड़ाते पैर,
मेरी दृष्टि पटल पर अंकित है ।।
झट से बना डालना किस्से कहानियां,
विरासत में मिली मुझे वसीयत है।
साहित्य पीडीया में एक मुकाम हासिल करना,
आपके आशीर्वाद की असलियत है।।
ठान लिया, बनना है तुम सा ही,
शांत, शीतल रहना है, तुम सा ही।
चखु मैं, खाएं लोग, यही तमन्ना है
लिखूं मैं, पढ़े लोग, यही तमन्ना है ।।
#’बापू’ एक बार फिर से आओ…
बीड़ी का बंडल रखा छुपा कर, ले जाओ।
गुड़ के भंडार भरे, खा जाओ,
एक बार फिर से बस शक्ल दिखा जाओ।।
मैं बहुत खुश हूं, यह बतलाना है,
मेरी खुशियां आपके बिना अधूरी है, यह जतलाना है।
आप बहुत खास है, यह बतलाना है,
आप जैसा कोई नहीं, यह जतलाना है ।।
#बापू- दादाजी
सीमा टेलर ‘तु है ना’ (छिम्पीयान लम्बोर)