एक ख़त रूठी मोहब्बत के नाम
खत्म करो ये गीले शिकवे
करते है एक नई शुरुआत
माना कि मेरी गलती ज्यादा हैं
तुम्हारी गलती ना के बराबर
फिर भी…..
यूं जो रूठे रहोगे तुम ऐसे
पहले की तरह बात कर पाओगे क्या?
खफा होके मुझसे
खुद को समझा पाओगे क्या?
बात ना करके मुझसे
खुद से कुछ कह पाओगे क्या?
बेरुखी बाते करना, झगड़ना ये चलता रहेगा…
मुझे नज़रअंदाज़ करके,
जरा खुद से पूछो:
पहले की तरह मिल पाओगे क्या?
पहले की तरह मिल पाओगे क्या?
खत्म करो ये गीले शिकवे
करते है एक नई शुरुआत
समझ सको तो समझो तुम
खुद की अना को भुला के
तुम्हे अपनाने आया हूं
जिंदगी साथ बिताने आया हूं