एक और निर्भया
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******एक ओर निर्भया******
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हाथरस जिले की निंदनीय घटना
हृदय विदारक अमानवीय घटना
निर्भया कांड की बर्बरता गए भूल
गुलिस्तां के फूलों के साथ हैं शूल
दरिंदों की दरिंदगी की हो शिकार
एक और निर्भया सहती अनाचार
चारों के समक्ष चला न सका जोर
आबरू बचाने हेतु किया था शोर
नहीं सुन सका कोई चीख पुकार
दरिंदें करते रहे असहाय पर वार
व्यभिचारी करते रहे व्यभिचार
लूट गई अस्मत,न कोई प्रतिकार
वहशीपन में वहशियों की होड़
रीड़ की हड्डी, हाथ पैर दिए तोड़
काट डाली जिह्वा करके दुष्कर्म
बता न सके दुश्चरित्र घिनौने कर्म
तार तार कर दिए इंसानी मानक
बन गए जालिम वासन वाहक
सुन कर हो जाता है हृदय कांप
कैसे,कहाँ से निकले काले साँप
कब तक लूटती रहेंगी अस्मत
क्या कभी जाग पाएगी किस्मत
गंदगी भरपूर भारतीय सियासत
सुरक्षित नहीं संस्कृति, विरासत
क्या मिलेगा मनीषा को इंसाफ
फाँसी चढेंगे या हो जाएंगे माफ
काश कोई बने कानून कायदा
कन्या,संरक्षण,सुरक्षित फायदा
मनसीरत मार्मिकता मे भावुक
कब बंद होंगेअमानवता चाबुक
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल(