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8 Aug 2021 · 1 min read

एक आदिवासी- आनंदश्री

एक आदिवासी

एक आदिवासी लड़ रहा है
जल जंगल जमीन, और
अपने अस्तित्व को बचाने
अपने अस्मिता को बचाने
प्रकृति की गोद मे रहकर
लाठी और पुराने नुस्खों से
एक आदिवासी लड़ रहा है।

रोजमर्रा जरूरत को पूरा कर
नए भारत से कंधा मिला रहा है
आधुनिकता की चादर ओढ़े
स्वयं और बच्चे शिक्षित कर रहा है
जंहा सूरज की रोशनी नही
वंहा पंहुच कर जीवन बसा रहा है
एक आदिवासी लड़ रहा है।

पुराने मान्यताओं से नयी पीढ़ी का
सृजन हो रहा रहा हैं
आदिवासी परिवार भी
अधुनिकता को अपना रहा है
देश का सविंधान अब उन तक
भी पंहुच रहा है
अपने ही मान्यताओं को तोड़में
एक आदिवासी लड़ रहा है।

प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री
विश्वरीकोर्ड पुरस्कृत कवि, मुम्बई

Language: Hindi
1 Like · 466 Views

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