” एक आखरी ख्वाहिश “
हेलो किट्टू !
अस्पताल के कमरे से मैं देख रही थी लगभग 18 वर्ष की थी । कभी भी उसकी आत्मा शरीर त्याग सकती थी । वो मृत्यु शय्या पर लेटी एक छोटी सी ख्वाहिश को लिए आंखों से अश्रु धारा बहा रही थी अपने पिता के इंतजार में । इशारें से मुझे अपने पास बुलाई और एक डायरी दिया और आंखें मुंद लिया उसने ।
बचपन से ही उसके पिता व्यवसाय के लिए किसी अन्य देश में रहते थे । ननिहाल में ही उसका मासूम बचपन काम – काज , उत्पीड़न और मानसिक शोषण में तबाह हो गया ।सब कुछ होते भी वो एक प्यार भरे कंधे को तरसी । अपना सारा हाले दिल बयां कर पिता के कंधे पर ही मीठी थपकियों के साथ कुछ पल ही सही पर चैन की नींद सोना तरसी थी । वक्त ने ऐसी करवट ली , वो सच में सबको उसकी सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर देगी । संसार से बिदाई कुछ ऐसे हुई उसकी ।
आखरी पन्ने पर लिखी थी उसकी एक अधुरी ख्वाहिश ” सभी बच्चों की तरह मैं भी अपने पापा से ही साइकिल चलाना सीखना चाहती हूं । ”
? धन्यवाद ?
✍️ ज्योति ✍️