एक अमुल्य रत्न : लता मंगेशकर
है जिसे कहा जाता स्वर कोकिला
वह अब तो रही नहीं,
है जिसके राग से लगता
धरा ऊपर है, अंबर नीचे
वह अब तो रही नहीं |
बुझ गया एक दीपक भारत का
और खो गया एक अमूल्य रत्न भारत का,
मिल गई वो मधुर-सी आवाज
आसमां में आज |
थी आवाज उनकी पहचान,
चिरकाल तक करते रहेंगे लोग याद उन्हें
उनकी दी हुई विरासत
हम भारतवासी आगे बढ़ाते रहेंगे आगे,
इस करुण वेदना में मैं
कुछ लिख पा रहा नहीं हूं
करने में तो उनकी प्रशंसा
शब्द कम पड़ जाएंगे,
शब्दकोश को उलट-पुलट कर
बार बार देखने पर जाएगें,
उस अमूल्य रत्न को
हाय, अब भारत है खो चुका
अब वो आवाज फिर से ना आ पाएगी
जिसके कायल थे करोड़ों लोग,
अब दूसरी लता मंगेशकर जन्म ना लेगी
स्वर्ग में है जगह थी उनकी
अब चली गईं वह स्वर्ग में रहने,
हो गई अमर, लता मंगेशकर
भारत के इतिहास में,
शत-शत नमन करता मैं
उनको, उनके चरणों में |