“ एक अमर्यादित शब्द के बोलने से महानायक खलनायक बन जाते हैं ”
( संस्मरण )
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
======================================
अपनी व्यथा ,अपना क्रंदन ,अपनी खुशी ,अपना संस्मरण और मधुर यादों को प्रत्येक व्यक्ति अपने- अपने ढंग से प्रस्तुत करता है ! कोई छंदों में पिरोता है, तो कोई कहानियाँ के माध्यम को चुनता है ! कभी जब कोई लिख नहीं पाता तो अपनी अभिव्यक्ति के माध्यम को ही श्रेष्ठकर समझता है ! इन सारे माध्यमों को मैंने अपने जीवन में अपनाया है ! आज मैं तनिक भी संकोच के दायरों में नहीं रहूँगा ! अपनी व्यथा और अनुभव के पिटारे को अवश्य खोलूँगा !
महानायक की पदवी मैंने एक ही व्यक्ति को अपने फेसबूक के पन्नों में दिया था ! उनकी प्रतिभा ,उनकी लेखनी ,उनकी कविता ,लेख ,समालोचना और टीका -टिप्पनिओं को पढ़कर उनके दिव्य स्वरूप का अंदाजा लगता था ! वे उम्र में समस्त फेसबूक मित्रों में वरिष्टतम पायदानों पर विराजमान थे ! हिन्दी और मैथिली साहित्य व्याकरण के पंडित माने जाते थे ! उनके सारे गुणों को देखकर मेरा सर झुक जाता था !
महानायक की उपाधि सबको नहीं दी जाती है ! वैसे इन फेसबूक के पन्नों में भी अनगिनत वरिष्ठ नागरिक हैं ! कुछ तो संबंधों में श्रेष्ठ हैं ,कुछ गुरु हैं और कुछ ऊँच्च पदाधिकारी जिन्हें मैं अपना आदर्श मानता हूँ ! तारे तो क्षितिज में अनेक हैं पर ध्रुवतारा तो एक ही होता है ! ध्रुवतारा अंधेरी रातों में प्रकाश पुंज का काम करता है और दृगभ्रमित को राह दिखाता है ! अमिताभ बच्चन को महानायक सब कहते हैं ! उनके सदृश्य लोगों को ही महानायक कहते हैं !
महानायक की भूल,उनका विवादित बयान और उनके अनुपयुक्त शब्दों का प्रयोग उन्हें महानायक से खलनायक झट से बना देता है! अब तक जो उनको सम्मान देते थे ,उनके यशगान में लगे रहते थे और उनके हरेक गतिविधियों पर जो मेरी निगाहें लगी रहती थीं बस उनके एक शब्द को लेकर बबाल मच गया ! फेसबूक के पन्नों पर मैंने पिछले “ होली मिलन समारोह ” का वीडियो पोस्ट किया था ! दुमका आउटडोर स्टेडियम में “ दादू स्टार क्लब ” की ओर से दुमका के तमाम लोगों को होली मिलन समारोह के लिए दिनांक 18 मार्च 2022 दिन शुक्रवार सुबह 8 बजे बुलाया गया था !
झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री श्रीमती लुईस मारांडी और दुमका के पूर्व सभापति नगर परिषद श्रीमती अमिता रक्षित मुख्य अतिथि के रूप में पधारे थे ! रंग -अबीर खेले गए ! संगीत का कार्यक्रम हुआ ! होली के गीत गाए गये ! बारी -बारी से सबने डांस किया ! क्या बूढ़े ,क्या नये सबने अपना जलबा दिखाया ! डी 0 जे 0 के धुनों पर मुझे भी थिरकना पड़ा ! यथासंभव सबों ने सराहा ! सबके अच्छे संदेश फेसबूक के पन्नों पर आया पर मेरे आराध्य महानायक ने इसे “ नटुआ नृत्य ” कहके सम्बोधन किया !
महानायक के इस सम्बोधन ने मुझे तो हिला दिया और मेरे महानायक की असली तस्वीर उभर आई थी ! आजके युग में नृत्य का माहौल कहाँ नहीं है ? और फिर होली के हुड़दंग को नटुआ नृत्य का सम्बोधन करके महानायक बौना बन गए ! और देखते- देखते महानायक से खलनायक बन गए ! डिजिटल रंगमंच पर जो हम लिखते हैं उसकी छाप अमिट होती है ! आप लाख लिखने के बाद पश्चाताप और क्षमायाचना करें उसका नतीजा निरर्थक प्रतीत होता है और पुनः महानायक की उपाधि काभी मिल नहीं सकती ! सही में “ एक अमर्यादित शब्द के बोलने से महानायक खलनायक बन जाते हैं !!”
=======================
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस .पी .कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
24.10.2022