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18 Feb 2022 · 1 min read

एक अनेक

एक दिन तारो ने मिलकर
एक सभा बुलाई। ।
फिर चन्दा मामा से खूब की लडाई
आपस में टकरार किये ।
हमसे नफरत तुम से सब प्यार किये ।।
सारी रात हम है जागे
पर तुम कुछ क्षण ही आवे ।।
फिर भी बच्चे तुम्हे बुलावे
हमारा कोई नाम न गावे ।।
ऐसा क्या तुम्हे,हममे से।
लोग हमेशा यही कहे
चाॅद बिना न रात सहे ।।
ये सब बाते आपस में हुई
फिर पंचायत में घडी घुमी ।।
एक जुट सारे ग्रह हुये
सूरज भी वहा प्रकट हुये ।।
सारा भेद उन्हे बताया
फिर पंचायत का सरपंच बनाया ।।
सूरज ने यह बात कही
एक नही तो अनेक नही ।।
तुम सब हो भाई, भाई
आपस में मत करो लडाई ।।
चन्दा तुम्मे बडा हुआ
इसलिए वह अडा हुआ ।।
आपस में तुम करो बैर मत
तुम्हारे प्रकाश से रोशन जग ।।
पर चन्दा की बात निराली
मानो स्त्री टीका बिन खाली ।।
सब सिंगार हुये झूठे
बिन टिके के फीके ।।
जो अनेक नही कर पाते
वह एक ही शोभा सझाते ।।
तब तारो ने यह बात सुनी
जब चन्दा की जान बची ।।
तभी मुर्गे की बांग बजी
झट पट मम्मी है उठी ।।
नाम मेरा झट से पुकारा
दे पुस्तक पर हमको मारा ।।

W- surjeet kashyap

Language: Hindi
2 Likes · 295 Views
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