Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jan 2017 · 2 min read

एक अजन्मी बेटी का दर्द

 

जीना चाहती थी मैं भी कभी इन तरंगों की तरह,

सुनना चाहती थी कभी मैं भी इन की मधुरता को:

जो खिला देती हैं अपनी  तरंगों से मन मयूर को

जब भी आहट होती थी किसी तरंग की ,

मन करता था आनंद लेने को ,दिल को दिलासा देने को !

लगता था मैं महफूज़ हूँ माँ के आँचल में,

न बिगाड़ पायेगा कोई कुछ भी मेरा माँ के साए में !

रहती थी खुश होकर माँ के गर्भ में ,जब सहलाती थी माँ प्यार से,

आया ये कैसा मनहूस दिन ,नहीं था पता आज होगा मेरा आखिरी दिन

माँ जा रही थी अनमनी सी ,पर बेबस थी :

रो रही थी दिल ही दिल में, पर पराधीन थी !

मैं सुन रही थी कोख में माँ के दर्द को ,

पी रही थी माँ के आंसुओं को ,नहीं था पता कैसा दर्द है ?

आई जब एक हथौड़ी मेरे पास तो डर लगने लगा !

सिमटने लगी थी मैं डरके माँ के पेट में ,

पुकार रही थी माँ को जोर जोर से ,बचा लो मुझे तुम आकर इस दर्द से !

नहीं था पता माँ भी बेहोश है ,लाना चाहती थी वो दुनिया में मुझे

पर वो भी बहुत मजबूर है !

छोड़ दी अब हिम्मत मैंने ,कर दिया खुद को राक्षसों के हवाले

क्या कसूर था मेरा ,यही कि मैं एक बेटी हूँ ?

शायद भूल गए ये सभी दुनिया वाले उनकी माँ भी तो किसी की बेटी थी ,

पत्नी भी किसी की बेटी है ,नहीं होंगी जब बेटियां तो किसको माँ बुलाओगे ?

नहीं होगी बहन तो राखी किससे बंधबाओगे ?

मुश्किल नहीं है न ही नामुमकिन है ,इस जीवन में बेटियों की रक्षा करना !

फिर भी बन जाता है क्यूँ खुद ही बहशी बेटी का पालन हार है ?

सच्चाई यही है आज भी एक बेटी की ,जीना है बस सारी उम्र यूँ ही मर मर के !

कब आयेगा वो दिन हकीक़त में, जब बेटियां भी जी पाएंगी खुलकर!

उड़ पाएंगी आसमान में स्वतंत्र पक्षियों की तरह झूमकर !!

बेटियां ही हैं सृष्टि का आधार ,जीवन का सबसे बड़ा उपहार ।
मत मारो कोख में बेटियों को ,वरना आने वाले कल में आँसूं बहाओगे ।

(कैसे कठोर दिल होते हैं वो माँ बाप जो आज भी करते हैं बेटे और बेटियों में दुहांत )

_=========बेटी बचाओ बेटी है तो जहान है वरना दुनिया ही सबकी वीरान है =======

वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ

1 Like · 1108 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
होली आयी होली आयी
होली आयी होली आयी
Rita Singh
Sari bandisho ko nibha ke dekha,
Sari bandisho ko nibha ke dekha,
Sakshi Tripathi
औरत की नजर
औरत की नजर
Annu Gurjar
गुड़िया
गुड़िया
Dr. Pradeep Kumar Sharma
गर्दिश का माहौल कहां किसी का किरदार बताता है.
गर्दिश का माहौल कहां किसी का किरदार बताता है.
कवि दीपक बवेजा
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
*किस्मत वाले जा रहे, तीर्थ अयोध्या धाम (पॉंच दोहे)*
*किस्मत वाले जा रहे, तीर्थ अयोध्या धाम (पॉंच दोहे)*
Ravi Prakash
हम कहाँ से कहाँ आ गए हैं। पहले के समय में आयु में बड़ों का स
हम कहाँ से कहाँ आ गए हैं। पहले के समय में आयु में बड़ों का स
ख़ान इशरत परवेज़
सिर्फ चलने से मंजिल नहीं मिलती,
सिर्फ चलने से मंजिल नहीं मिलती,
Anil Mishra Prahari
💐प्रेम कौतुक-332💐
💐प्रेम कौतुक-332💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
क्षमा देव तुम धीर वरुण हो......
क्षमा देव तुम धीर वरुण हो......
Santosh Soni
धीरज और संयम
धीरज और संयम
ओंकार मिश्र
सवैया छंदों के नाम व मापनी (सउदाहरण )
सवैया छंदों के नाम व मापनी (सउदाहरण )
Subhash Singhai
#मंगलकामनाएं
#मंगलकामनाएं
*Author प्रणय प्रभात*
सरप्लस सुख / MUSAFIR BAITHA
सरप्लस सुख / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
संबंध क्या
संबंध क्या
Shweta Soni
हां....वो बदल गया
हां....वो बदल गया
Neeraj Agarwal
घड़ी
घड़ी
SHAMA PARVEEN
❤️🖤🖤🖤❤
❤️🖤🖤🖤❤
शेखर सिंह
भुलाना ग़लतियाँ सबकी सबक पर याद रख लेना
भुलाना ग़लतियाँ सबकी सबक पर याद रख लेना
आर.एस. 'प्रीतम'
ये दूरियां सिर्फ मैंने कहाँ बनायी थी //
ये दूरियां सिर्फ मैंने कहाँ बनायी थी //
गुप्तरत्न
घाव मरहम से छिपाए जाते है,
घाव मरहम से छिपाए जाते है,
Vindhya Prakash Mishra
रणचंडी बन जाओ तुम
रणचंडी बन जाओ तुम
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
"रुदाली"
Dr. Kishan tandon kranti
सब्जियां सर्दियों में
सब्जियां सर्दियों में
Manu Vashistha
वेलेंटाइन डे बिना विवाह के सुहागरात के समान है।
वेलेंटाइन डे बिना विवाह के सुहागरात के समान है।
Rj Anand Prajapati
3125.*पूर्णिका*
3125.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैं बदलना अगर नहीं चाहूँ
मैं बदलना अगर नहीं चाहूँ
Dr fauzia Naseem shad
ये जो लोग दावे करते हैं न
ये जो लोग दावे करते हैं न
ruby kumari
Loading...