*एकांत का सुख*
एकांत का सुख
अकेले में एकांत,
भीड़ में भी एकांत।
अंदर एकांत,
बाहर भी एकांत।
नजारों में एकांत,
बहारों में भी एकांत।
मन गर रहे शांत,
हर कदम विश्रांत।
मन नहीं परेशान,
ना ही यह हैरान।
मन की खुशी एकांत,
चित्त की शुद्धि एकांत।
ध्यान का आरंभ एकांत,
अध्यात्म का उदय एकांत।
हर्षित गर रहे अंतस,
परम आनंद है एकांत।।
आभा पाण्डेय